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  • Damami Shiva Mandir
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हमारे पवित्र मंदिर के बारे में

सीतामढ़ी। बेलसंड अनुमंडल मुख्यालय से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर ईशानकोण में अवस्थित है बाबा ईशाननाथ मंदिर। यह सीतामढ़ी जिले के सर्वाधिक प्राचीन एवं प्रसिद्ध मंदिर है। लोहासी पंचायत के दमामी गांव में होने के कारण यह दमामी मठ के नाम से भी प्रसिद्ध है। इन्हें स्वयंभू महादेव व पातालेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर का इतिहास चिताभूमि पर अवस्थित इस मंदिर को रामायण काल से भी पुराना बताया जाता है। कहते हैं कि भगवान राम की बरात जनकपुर से वापस अयोध्या जाने के दौरान यहां रूकी थी। उस समय मंदिर के बगल से बागमती नदी बहती थी। जिसका अवशेष नासी के रूप में अब भी है। मंदिर के मुख्यद्वार पर स्थापि

पुनौरा धाम

पुनौराधाम, बिहार के सीतामढ़ी जिले में स्थित एक अत्यंत पवित्र और ऐतिहासिक स्थल है, जिसे माता सीता की जन्मस्थली माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, राजा जनक को यहीं भूमि जोतते समय सोने की घड़ी में सीता जी मिली थीं। यहाँ स्थित जानकी मंदिर अत्यंत भव्य और श्रद्धा से परिपूर्ण है। प्रतिवर्ष रामनवमी, सीता नवमी और अन्य धार्मिक अवसरों पर यहाँ हजारों श्रद्धालु आते हैं। मंदिर परिसर में सीता माता की मूर्ति, पूजा स्थल और हवन मंडप हैं, जो धार्मिक महत्व को और बढ़ाते हैं। पुनौराधाम एक प्रमुख रामायण सर्किट स्थल है, जिसे केंद्र और राज्य सरकार द्वारा भी विकसित किया जा रहा है। यहाँ का वातावरण भक्तिभाव, संस्कृति और परंपरा से परिपूर्ण होता है। पुनौराधाम एक विशिष्ट स्थल है, विशेष रूप से उन श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए जो माता सीता की कथा को निकट से अनुभव करना चाहते हैं। पास में स्थित पंथ पाकर, जनक स्थान मंदिर, और जानकी कुंड भी दर्शनीय हैं।

Information Details
: Yes
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: सीतामढ़ी बस स्टैंड: लगभग 2 किमी
: सीतामढ़ी रेलवे स्टेशन: लगभग 2 किमी
: निकटतम हवाई अड्डा पटना हवाई अड्डा, लोक नायक जयप्रकाश हवाई अड्डे से लगभग 180 किलोमीटर दूर है जो पूरे देश से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
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जानकी मंदिर, सीतामढ़ी

रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड से लगभग 1.5 किमी दूर है । यह सीता का जन्म स्थान है। जानकी-कुंड मंदिर के निकट दक्षिण में है। नवरात्रि और राम नवमी त्योहारों के दौरान हजारों में भक्त मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर लगभग 100 साल पुराना है। इस जगह की किंवदंती महाकाव्य रामायण को संदर्भित करती है और उस स्थान के रूप में प्रसिद्ध है जहां सीता को दायर की गई छाया में एक छाया के नीचे नर्स किया गया था जहां वह राजा जनक द्वारा पैदा हुए नए जन्म के रूप में पाई गई थी। यह एक आधुनिक संरचना के साथ एक काफी बड़ा मंदिर है। मंदिर के मुख्य देवता श्री राम, सीता और हनुमान हैं। जानकी कुंड के रूप में प्रसिद्ध एक नजदीकी टैंक वह जगह है जहां राजा जनक बेटी सीता को स्नान करने के लिए ले जाते थे यह लोकप्रिय पौराणिक कथाओं की धारणा थी। सौर संचालित रोशनी के लिए एक बड़ा आंगन और प्रावधान है। मंदिर का बड़ा प्रवेश द्वार इस पवित्र स्थान पर आगंतुकों का गर्मजोशी से स्वागत करता है। भक्तों की एक बड़ी सभा को समायोजित करने के लिए अंदर एक विशाल आंगन है। चूंकि रामायण का प्रभाव बिहार में हिंदुओं पर एक प्रमुख प्रभाव है, इसलिए मंदिर साल भर भक्तों द्वारा घिरा हुआ है। यह त्यौहार राम नवमी और जानकी नवमी इस जगह के पवित्र त्यौहार हैं।

Information Details
: Yes
: Yes
: सीतामढ़ी बस स्टैंड: लगभग 1.5 किमी
: सीतामढ़ी रेलवे स्टेशन: लगभग 1.5 किमी
: निकटतम हवाई अड्डा पटना हवाई अड्डा, लोक नायक जयप्रकाश हवाई अड्डे से लगभग 180 किलोमीटर दूर है जो पूरे देश से बहुत अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
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देकुली शिव मंदिर

जिले के लोक आस्था का केंद्र बाबा भूवनेश्वर नाथ मंदिर अति प्राचीन है. इस मंदिर का धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व है. कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण द्वापर काल में किया गया था. एक ही पत्थर को तराश कर इस मंदिर का निर्माण किया गया है.
1956 में प्रकाशित अंगरेजी गजट में नेपाल के पशुपतिनाथ व भारत के हरिहर क्षेत्र के मध्य इस मंदिर के होने की बात कही गयी थी. कोलकाता हाई कोर्ट के एक फैसले में भी इस मंदिर को अति प्राचीन बताया गया है. ग्रामीणों की मानें तो इस्ट इंडिया कंपनी के चौकीदारी रसीद पर भी इस मंदिर का उल्लेख मिलता था. मंदिर के पश्चिम भाग में एक तालाब है. जिसकी खुदाई करीब 1962 में छतौनी गांव निवासी संत प्रेम भिक्षु ने कार्रवाई थी.

संत प्रेम भिक्षु उतर बिहार के चैतन्य अवतार माने जाते थे. इस खुदाई में द्वापर काल की कई दुर्लभ धातु की मूर्तियां प्राप्त हुई थी. जिसे अति प्राचीन मौल वृक्ष के पास स्थापित किया गया है. ग्रामीणों के मानें तो इसके नीचे करीब 12 फिट खुदाई के बाद ग्रेनाइट पत्थर प्राप्त होते है.
धार्मिक न्यास बोर्ड से मंदिर को जोड़ने के लिए बिहार सरकार व भारत सरकार को प्रार्थना पत्र भेजा गया. इसके ऐतिहासिक संदर्भ की चर्चा करते हुए इसे जानकी सर्किट व चित्रकुट सर्किट से जोड़ने का प्रयास किया गया. किंतु महंथों ने इसे व्यक्ति गत संपत्ति बताकर मामला को उलझा दिया. हालांकि मंदिर में पूजा अर्चना करने पर कोई बाधा नहीं है. कहा जाता है कि मंदिर के ऊपर श्री यंत्र लगा है शिव लिंग पर जलाभिषेक के बाद जो भी मन्नतें मानी जाती है. सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है.

Information Details
: Yes
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: रेल द्वारा नजदीकी रेलवे स्टेशन मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी तक पहुंचा जा सकता है।
: सड़क मार्ग से बस सेवा द्वारा सीधे देकुली धाम पहुंचा जा सकता है।
: सीतामढ़ी
: पटना
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